Tuesday, December 29, 2009

डान बना देता है . . .



इस दुनिया में पेट एक ऐसा जख्म या मरहम है यारों जो -



एक सत्य के पथ से न विचलित न होने वाले शक्स को,

सबसे बड़ा महान या बेईमान बना देता है !!





एक गरीब घर को अकेले पाल रहे पिता को,

एक बहुत अमीर जात या शैतान बना देता है !!



एक फुटपाथ पर पल रहे बच्चे को,

किसी शहर का अफसर या डान बना देता है !!





गर होता कहीं खुदा भी इस दुनिया में, तो ज़रूर बतलाता मैं उसे,

कि ये इंसान को भगवान् और भगवान् को इंसान बना देता है !!

एक बार . . .



तुमने तो केवल हमारी पलकों पे,
कुछ अधूरे ख्वाब ही सजवा दिए,



एक बार जो इस नक़्शे को,
इमारत में बदल दिया होता,


तो हम बस एक तुम्हारे होकर,
ही न रह जाते तो कहतीं !!


तुमने तो केवल किनारों पर ही पड़ी,
सीपियों से मोती चुन लिए,


एक बार जो इस समंदर में,
झाँककर देखा होता,


तो तुम्हारी आँखें इसमें पड़े कोहिनूरों से,
झिलमिला न उठती तो कहतीं !!


तुमने तो कुछ लतफ़हमियों में,
हमारी फूलती-फलती बगिया उजाड़ दी,

एक बार जो हमारे दिल की,
पुकार भी सुनी होती,

तो हम तुम्हारी राहों में अनगिनत,
'प्रसून' न बिछा देते तो कहतीं !!

पर ये 'पर' न मिलेगा . . .



अब तुमने किस्मत में मेरी लिख दिया कि -

तुम्हें जिंदगी तो मिलेगी, पर जीवन न मिलेगा !
तुम्हें शहर तो मिलेंगे, पर एक घर न मिलेगा !!



तुम्हें चाहत तो मिलेगी, पर प्यार न मिलेगा !
तुम्हें रास्ते तो मिलेंगे, पर हमसफ़र न मिलेगा !!


तुम्हें जागीरें तो मिलेंगी, पर मेरा साया न मिलेगा !
तुम्हें आंसू तो मिलेंगे, पर उन्हें पोंछने वाला न मिलेगा !!


तुम्हें दुल्हन तो मिलेगी, पर मेरा हाथ न मिलेगा !
तुम्हें खुशयां तो मिलेंगी, पर मेरा दामन न मिलेगा !!


 तुम्हें जख्म तो बहुत मिलेंगे, पर उनका मरहम न मिलेगा !
तुम्हें मैं तो मिलूंगी, पर मेरा साथ न मिलेगा !!

तुम्हें सबकुछ तो मिलेगा 'प्रसून', पर ये 'पर' न मिलेगा !!

वफ़ा की मूरतें मिलती नहीं दुनिया में . . .



किसी से दिल लगाने का अगर कुछ, काम तुम रखना !
उसका ही साथ अपनी जिंदगी के, नाम तुम रखना !!

वफ़ा की मूरतें मिलती नहीं दुनिया में, जरा सुन लो ;
हमारी ही तरह चाहत का, बस इक पैगाम तुम रखना !!

Monday, December 28, 2009

है बात नहीं लिखने की . . .


लिखने को तो हम भी तेरे,
चेहरे को कँवल लिख सकते थे !

नफरत की नीव के उन खंडहरों को,
 हम भी तो महल लिख सकते थे !!


है बात नहीं लिखने की केवल,
 जो सजाएं दी वो उकेरी हैं;


तुम प्यार अगर करती हमसे,
हम उपहारों की ग़ज़ल लिख सकते थे !!


आपका - प्रसून दीक्षित 'अंकुर'

बस मुस्कुरा देना . . .



समझकर ख्वाब मेरे प्यार को, न तुम भुला देना !
जानकार पत्र कागज़ का, न केवल तुम जला देना !!



मोहब्बत है अगर तुमको भी हमसे, तो ज़रा सुन लो,
हमारी मौत पर इक बार तुम, बस मुस्कुरा देना !!


आपका - प्रसून दीक्षित 'अंकुर'

खुदा भी चाहता . . .


अँधेरे सब उसकी चाहत के, मुझको रवि बना बैठे !

अश्रुओं से भरे नयनों की, मुझको छवि बना बैठे !!


खुदा भी चाहता तो, कर न सकता था बयाँ यारों ,

तभी तो गम उसकी नफरत के, मुझको 'कवि' बना बैठे !!


आपका - प्रसून दीक्षित 'अंकुर'

मेरे हाथ में . . .


तेरी चाहत की दुनिया का, सुन ले क्या फ़साना है ?

दिलों से खेलने का, एक इसमें कारखाना है !


तू ही वो बेवफा है, तेरा ही ये कारनामा है ;

कि मेरे हाथ में भी, आज देखो पैमाना है !!


आपका - प्रसून दीक्षित 'अंकुर'

न मेरे पास तू आया . . .


कभी मेरी वफाओं पे, तुझे विश्वास न आया !

मेरी सच्ची मोहब्बत का, तुझे एहसास न आया !!


जरा उन गोपियों के संग, मेरा दर्द भी सुन ले !
न उनका कृष्ण ही आया, न मेरे पास तू आया !!

आपका - प्रसून दीक्षित 'अंकुर'

तेरी डोली भी इक दिन . . .



तेरी डोली भी इक दिन घर से तेरे दूर जाएगी,

होके किस्मत हाथों तू भी तब मजबूर जाएगी।



मैं अपने अश्रुओं को गर छुपा लूं तो बताना तुम,

कि कैसे छोड़कर दामन तू मेरी हूर जाएगी ?


By - Prasoon Dixit 'Ankur'

मेरे बाद तू आया . . .


तुझे जब भूलना चाहा तो फिर क्यों याद तू आया ?
क्यों आँखों में लिए चाहत की फिर फ़रियाद तू आया ?


मेरी साँसों की हर आहट का जब एहसास था तुझको ,
बड़ा अफ़सोस है मरने के मेरे बाद तू आया ।


By- Prasoon Dixit 'Ankur'


Really it's direct from the bottom of my soul for all of you.

Only read it and enjoy।

Because suffer, pain, sorrow is only for me not for you.

So, cheer the life.

God Bless You।

कभी तेरा भी इस दुनिया में . . .



कभी तेरा भी इस दुनिया में कोई ख़ास तो होगा,
उसी के संग तेरे जीवन का सारा रास तो होगा।


कभी पलटोगी यादों के पन्नों को अगर तुम भी,
तुम्हें मेरी मोहब्बत का तब एहसास तो होगा।


By- Prasoon Dixit 'Ankur'

ये दुनिया . . .


ये दुनिया प्यार की हर बात से अन्जान होती है,
हीर के दिल में ही रांझे के उसकी जान होती है।




कोई लैला भी मजनू संग कभी बदनाम होती है,
एक पारो भी अपने देव का अरमान होती है।




ऐ मेरी दिलरुबा उल्फत में लेकिन क्या किया तूने ?
कि मेरी रात अब गम से तेरे शमशान होती है।


By- Prasoon Dixit 'Ankur'

सोचता हूँ . . .


अपने दिल की धडकनों में,
तुम्हें बसाने के बाद,
अब तक किसी को चाहा नहीं,
तुम्हें चाहने के बाद ।
वो तेरे संग बीते खुशनसीब
लम्हों,
की रोशनी की कसम,
कभी भी दिए में घी नहीं डाला,
जलाने के बाद ।
हमारे प्यार की रंगीन सी,
चमक से जल रहा है ये,
वरना दिए तो बुझ जाते हैं,
कुछ लम्हों के गुजर जाने के बाद ।
ये मेरे प्यार का असर है,
या तेरे साथ निभाने का अंजाम,
क्योंकि आज तक कोई आया नहीं,
राह में छोड़ जाने के बाद ।
अब तूने तो हाथ ज़िन्दगी भर,
के लिए थाम लिया है मेरा,
वरना किसी ने उठाया तक नहीं,
हमें गिर जाने के बाद ।
सोचता हूँ, कि मैं तुम्हें,
अपनी मौत की उम्र भी दे दूं,
जिससे और कोई न छुए लाश मेरी,
मर जाने के बाद ।


अत्यंत व्यथित ह्रदय से -
प्रसून दीक्षित 'अंकुर'

जिस्म की रोशनी . . .



मुझसे तुम हमेशा के लिए,
बिछड़ने से पहले,
ज़रा बहा देना दो आंसू,
हमें खोने से पहले।
किसी और की बाहों में,
गुजरना अपनी रातें,
पर मेरी बाहों में आ जाना,
मेरे मरने से पहले।
याद आओगी बहुत तुम,
हर रात सोने से पहले,
ख्वाबों में तुम ही होगी,
हर सुबह उठने से पहले।
तुम तो अपने जिस्म की रोशनी,
से रोशन करोगी उसे,
मेरे जीवन में भी दिया,
जला देना अँधेरे से पहले।
गर आये याद हमारी,
किसी महफ़िल में पहले,
तो निहार लेना आईने में,
खुद को पहले।
तुम तो बिताओगी,
अपने हमसफ़र के साथ ज़िन्दगी,
मैं कैसे काटूँगा दिन ?
बता देना मारने से पहले।
एक रोज़ छोड़ जाऊँगा,
ये जहाँ तुझसे पहले,
याद आएगी तब तुम्हें,
मेरी सबसे पहले।
चाहकर भी नहीं छुड़ा पाओगी,
हाथ अपने साथी से,
और मैं जला दिया जाऊंगा,
तेरे आने से पहले।



अश्रुयित नयनों के साथ -प्रसून दीक्षित 'अंकुर'
Related Posts with Thumbnails