Friday, May 21, 2010

तुम्हारा नाम . . .



मेरी साँसों के हर स्वर में, तुम्हारा नाम आया है !
मेरे हाथों में रह-रह के, ऐ साकी जाम आया है !!

तेरे गम ने मुझे पाने की ये, साजिश रची कैसे ?
तेरा दामन किसी के हाथ में, वो थाम आया है !!

Thursday, May 13, 2010

ख़ुशी का ताज . . .



कभी अपने होठों पे गीतों का,
हम भी साज सा रखते थे !

न थे आँखों में तब आंसू,
ख़ुशी का ताज सा रखते थे !!

तुम जो साथ चलती जिंदगी के तन्हा सफ़र में,
तो देखती कि कोई गम न होता;

क्योंकि हम अपने दिल में,
सिर्फ एक तुम्हें मुमताज सा रखते थे !!

Monday, May 3, 2010

नज़रों का जादू . . .



है ग़ज़लों की वो हस्ती अपनी, जो फटते शब्द सिया देती हैं,
है जिगरों में वो मस्ती अपनी, जो मय को नशीला बना देती है !

लाख लगाओ चन्दन लेपन, तुम निखरोगी जब हम निहारेंगे,
है नज़रों का वो जादू अपनी, जो सूखे वृक्ष जिया देती हैं !!
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