मेरी साँसों के हर स्वर में, तुम्हारा नाम आया है !
मेरे हाथों में रह-रह के, ऐ साकी जाम आया है !!
मेरे हाथों में रह-रह के, ऐ साकी जाम आया है !!
तेरे गम ने मुझे पाने की ये, साजिश रची कैसे ?
तेरा दामन किसी के हाथ में, वो थाम आया है !!
है फकत ये जिंदगी बस चार ही दिन की जनाब, लाख कोशिश करो न भूलने की ये सामान सारा, पर सब यहीं पर छोड़ के एक दिन तो जाना ही है !! - प्रसून 'अंकुर'
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