कागज पे जो लिखता हूँ, मैं तेरा नाम पानी से,
मुझे मुश्किल से न समझी, न समझी वो आसानी से !!
कभी आना तो मिलना, मेरी इस लाचारगी से तुम,
जो अब भी प्यार करता हूँ, उसी महलों की रानी से !!
है फकत ये जिंदगी बस चार ही दिन की जनाब, लाख कोशिश करो न भूलने की ये सामान सारा, पर सब यहीं पर छोड़ के एक दिन तो जाना ही है !! - प्रसून 'अंकुर'
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