मेरी मोहब्बत को तुमने, हकीकत होने न दिया !
इस तरह सताकर तुमने, हंसने क्या रोने न दिया !!
चैन गरीबों की किस्मत में, लिखा कहाँ है जान-ए-मन ?
भूख ने कभी तो कभी, गम ने भी तेरे सोने न दिया !!
है फकत ये जिंदगी बस चार ही दिन की जनाब, लाख कोशिश करो न भूलने की ये सामान सारा, पर सब यहीं पर छोड़ के एक दिन तो जाना ही है !! - प्रसून 'अंकुर'
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चैन गरीबों की किस्मत में, लिखा कहाँ है जान-ए-मन ?
ReplyDeleteभूख ने कभी तो कभी, गम ने भी तेरे सोने न दिया !!
वाह वाह जी क्या बात है बहुत सुंदर.
धन्यवाद
Bahut,bahut sundar!
ReplyDeletebahut achchhe janaab...................keep it up.
ReplyDeletebahut achchhr bhaav hai.
चैन गरीबों की किस्मत में, लिखा कहाँ है जान-ए-मन ?
ReplyDeleteभूख ने कभी तो कभी, गम ने भी तेरे सोने न दिया !!
" सच ही तो है..."
regards
umda rachna..
ReplyDeletekafi acha likha hai!
waah
ReplyDeletewah!!! khoob likha hai!
ReplyDeletebahut achcha kaha hai Prasoon
ReplyDeleteचैन गरीबों की किस्मत में, लिखा कहाँ है जान-ए-मन ?
ReplyDeleteभूख ने कभी तो कभी, गम ने भी तेरे सोने न दिया !!
bahut hi umda soch ki upaj hain apke muktak.
चैन गरीबों की किस्मत में,... bahut sunder... isse aur aage badhye... kafi kuchh kaha ja sakta hai
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