Wednesday, April 28, 2010

जीवन सी पतंग . . .

तुम चली गयी कहके, मुझको फिर न आना है,
न ही तू है मेरे काबिल, न मेरा दीवाना है !!

क्या सितम किया मैंने,  कैसे तुमने छोड़ा है ?
इन ग़मों के सागर को, मेरी ओर मोड़ा है !!

मैंने समझा जीवन सी, तुम पतंग की मांझा हो,
तुम ही मेरी लैला हो, तुम ही मेरा राँझा हो !!

तुमको क्या बताऊँ कैसे, खुद को अब संभाला है ?
गम की गोद में सोया, आंसुओं ने पाला है !!

आज कैसे जाना तुमने, ये शहर हमारा है ?
हमारी ये गलियां हैं, ये ही घर हमारा है !!

आज करती प्यार तुम भी, और मेरा प्यार जाना है,
जब मेरे है पास सबकुछ, पीछे ये जमाना है !!

- प्रसून दीक्षित 'अंकुर'

15 comments:

  1. आज करती प्यार तुम भी, और मेरा प्यार जाना है,
    जब मेरे है पास सबकुछ, पीछे ये जमाना है !!
    बढिया रचना !!

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  2. आज कैसे जाना तुमने ये शहर हमारा है
    हमारी ये गलियां है,ये ही घर हमारा है
    एक पंक्ति याद आ गई
    तुम्ही ने दर्द दिया तुम्ही दवा देना
    गरीब जान के मुझे न भुला देना
    भाव पूर्ण है

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  3. जिन्दगी तो बस मुहब्बत और मुहब्बत जिन्दगी
    फिर सुमन दहशत में जीकर हाथ क्यों मलता रहा

    जिनद्गी में इश्क का इक सिलसिला चलता रहा
    लोग कहते रोग है फिर दिल में क्यों पलता रहा

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  4. आज करती प्यार तुम भी, और मेरा प्यार जाना है,
    जब मेरे है पास सबकुछ, पीछे ये जमाना है !!
    behtareen soch ka parinaam hai apki yah gajal.dil ko chu kar nikal jaati hai,yatharth ke dharatal par khadi such se rubru karati hui.

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  5. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

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  6. तुमको क्या बताऊँ कैसे, खुद को अब संभाला है ?
    गम की गोद में सोया, आंसुओं ने पाला है !!
    Kya gazabki rachana hai!

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  7. दीक्षित जी
    थोड़ा फान्ट बड़ा करदेँ
    मोबाइल पर पढ़ नहीँ
    मिलता है।
    धन्यवाद

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  8. ACCHI RACHNA.......SUNDAR BHAV!!!!

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  9. good-good Prasoon dear


    Keep Writing bro !!

    my wishes always with you

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  10. prasun tumhari ye rachna ki jo lines hai dil ko chhu gayi khash kar ye line.......
    आज करती प्यार तुम भी, और मेरा प्यार जाना है,
    जब मेरे है पास सबकुछ, पीछे ये जमाना है !!

    bahut si rachnaon ko padha maine sabke sab lazvab hain........bhadai ho tumhe

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  11. निसंदेह सुन्दर शब्दों को संजोया है प्यार इश्क रोग है ऐसा

    अक्ल पे हम को नाज बहुत था लेकिन ये कब सोचा था
    इश्क के हाथों ये भी होगा लोग हमें समझायेंगे

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