कभी अपने होठों पे गीतों का,
हम भी साज सा रखते थे !
न थे आँखों में तब आंसू,
ख़ुशी का ताज सा रखते थे !!
तुम जो साथ चलती जिंदगी के तन्हा सफ़र में,
तो देखती कि कोई गम न होता;
क्योंकि हम अपने दिल में,
सिर्फ एक तुम्हें मुमताज सा रखते थे !!
है फकत ये जिंदगी बस चार ही दिन की जनाब, लाख कोशिश करो न भूलने की ये सामान सारा, पर सब यहीं पर छोड़ के एक दिन तो जाना ही है !! - प्रसून 'अंकुर'
Copyright 2010 प्रसून दीक्षित 'अंकुर' . Blogger Templates created by Deluxe Templates. Wordpress by wpthemesfree. Powered by Blogger
भाई अंकुर,
ReplyDeleteनारी को मुमताज बना
दफ़न न करो I
नूरजहाँ बना जहाँ को रोशन करो !!!!!!!!
विनीता
khub likhte ho
ReplyDeleteआपकी बात एकदम पक्की है, विनीता दीदी जी !
ReplyDeleteकिन्तु यह मेरा विचार था जो मैंने प्रस्तुत किया !
पर आपका यही प्यार मुझे "मुमताज़" को "नूरजहाँ" बनाने के लिए प्रेरित करता रहेगा !
आपका सादर धन्यवाद !
हेल्लो भाई !
ReplyDeleteक्या हाल चाल है ?
आपकी कविता मुझे अच्छी लगी |
आप युही प्यार को बढ़ाते रहे |
ये न सोचे कि सामने वाला क्या सोचता है |
हमें ये नहीं सोचना चाहिए कि सामने वाला मुझसे प्यार करता है या किसी और से |
हमें यह सोच कर प्यार नहीं करना सामने वाला हमी से प्यार करे क्योकि हम उसे प्यार करते है |
हमें ये सोचना चाहिये कि हम जिससे प्यार करते है वो हमेशा खुश रहे |
जिससे प्यार करते है वो जिसमे खुश रहे हमें वो ही करना चाहिए |
हम जिससे प्यार करते है उसकी ख़ुशी से बढ कर कोई प्यार नहीं होता |
हमेशा सभी से प्यार करे !
प्यार बाटने से ही प्यार बढता है |
धन्यवाद !
आपका सादर धन्यवाद !
dil ko banaya taaj aur jabt kiya mumtaaj kee rooh ko
ReplyDeleteduniya me amrita imroz bhi misaal hain
bahut ahcchhe ahsaas likhe hai apne...
ReplyDeleteजो मन में आये वो लिखो ...जरूरी नहीं सब उस से सहमत हो ..और वो सच भी हो ये भी आवश्यक नहीं.....आप अपने मन की लिखो ..हम अपने मन की प्रतिक्रियाएं कहे ....तुम हमें समझो ........हम तुम्हे समझे .....ना तुम हमसे नाराज़ हो ........ना हम तुमसे ....बस हम सब का लिखा ...शालीन और किसी के लिए हानिकारक ना हो ...... इसी का नाम ब्लॉग जगत है ....बहुत बढ़िया कविता है आपकी सुन्दर विचारों की अभिव्यक्ति है ....बस इसी तरह लिखते रहे ....एक दिन मंजिल आपके सामने होगी .....बाकी हमारी दुआएं तो साथ में है ही ....बधाई स्वीकारे
ReplyDeletebahut badhiya ! yoo hi likhte rahe.. pyar lutate rahe
ReplyDeleteप्रसून जी
ReplyDeleteटिप्पणी
श्यामल सुमन जी की टिप्पणी कविता पढ़ें
very good.
ReplyDeletelikhte rahen!
ReplyDeleteshubhkamnayen!