मेरी साँसों के हर स्वर में, तुम्हारा नाम आया है !
मेरे हाथों में रह-रह के, ऐ साकी जाम आया है !!
मेरे हाथों में रह-रह के, ऐ साकी जाम आया है !!
तेरे गम ने मुझे पाने की ये, साजिश रची कैसे ?
तेरा दामन किसी के हाथ में, वो थाम आया है !!
है फकत ये जिंदगी बस चार ही दिन की जनाब, लाख कोशिश करो न भूलने की ये सामान सारा, पर सब यहीं पर छोड़ के एक दिन तो जाना ही है !! - प्रसून 'अंकुर'
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ऐसे ही लिखते रहिये
ReplyDeleteआशीर्वाद आपको बेटा
ati sunder !
ReplyDeleteबहुत बढिया।
ReplyDeleteBahut,bahut sundar!
ReplyDeleteबहुत ख़ूब
ReplyDeleteयदि इस रचना को कुछ इस प्रकार लिखें तो अच्छा लगेगा...
ReplyDeleteमेरी साँसों के हर स्वर में, नाम तुम्हारा आया है !
मेरे हाथों में रह-रह के,जाम ऐ साकी आया है !!
तेरे गम ने मुझे पाने की ये, रची साजिश कैसी ?
तेरा दामन किसी के हाथ में, थाम वो आया है !!
वैसे अच्छा लिखा है.मेरी शुभकामनाएं...
bahut badiya...
ReplyDeleteaap likhte hain yahi aaj ke parivesh me atiuttam hai.
ReplyDeletegood,,, excellent....
ReplyDeleteवाह क्या रचना प्रस्तुत की आपने..सुंदर भावपूर्ण और लयबद्ध
ReplyDeleteसहेज कर रखने योग्य रचना
तेरे गम ने मुझे पाने की ये, साजिश रची कैसे ?
ReplyDeleteतेरा दामन किसी के हाथ में, वो थाम आया है
बेहद खुबसूरत....
regards
मेरी साँसों के हर स्वर में, तुम्हारा नाम आया है !
ReplyDeleteमेरे हाथों में रह-रह के, ऐ साकी जाम आया है !!
तेरे गम ने मुझे पाने की ये, साजिश रची कैसे ?
तेरा दामन किसी के हाथ में, वो थाम आया है !!
बहुत उमदा जनाब
एक शे’र बतौर दाद आपकी ख़िदमत में हाज़िर
मुझ तशनालब को साक़ी ने ये कैसा इनआम दिया है
सबको जाम दिए भर-भर कर मुझको ख़ाली जाम दिया है
(गोविन्द गुलशन)
prasoon bilkul marm se nikali aawaz hai har shabd me...........bahut achha laga padh kar .
ReplyDeleteखूबसूरत चित्रों के साथ मन के भावों को बहुत सुन्दर लिखा है...
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