Wednesday, April 21, 2010

फाइव स्टार का आर्डर . . .


न जाने क्यों सभी ने, इक यही सवाल रखा था ?
क्यों मैंने जिंदगी को, मौत का दलाल रखा था ?

कोई रामू के ठेले पर अब, चाट खाने नहीं जाता,
मैंने देखा था इक दिन. पंछी कोई हलाल रखा था !

मुझे तो गाँव की आब-ओ-हवा ही रास आती है,
फाइव स्टार के आर्डर में, चावल-दाल रखा था !

कॉलेज की कैन्टीन की वो, आखिरी बेन्च नहीं भूली जाती,
जिस पर मेरे नाम का तुमने, इक रुमाल रखा था !

मुहल्ले की चमेली, घर से जब बन-ठन के चलती है,
लड़के छेड़कर कहते हैं, कहाँ ये जमाल रखा था ?

कभी मेरे घरों की, तुम जो दीवारों को पढोगे,
कहोगे, वाह मियां ! क्या शेर यहाँ कमाल रखा था !

कोई पूछे तो रह-रह के, अपना नाम बता तो देता हूँ 'प्रसून',
मगर माँ ने तो मेरी, नाम मेरा 'लाल' रखा था !

11 comments:

  1. आपने जो आवाज़ दी है दूर से , अच्छा लगा . सार्थक शब्दों का यह सफ़र जारी रहे . शुभ कामना .--- राजीव चतुर्वेदी

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  2. कोई पूछे तो रह-रह के, अपना नाम बता तो देता हूँ 'प्रसून',
    मगर माँ ने तो मेरी, नाम मेरा 'लाल' रखा था !
    वाह बहुत ही सुंदर गजल कही आप ने धन्यवाद

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  3. EK KHAAS ANDAJ MEIN LIKHTA HAI WO GAZAL
    KYONKI KISI NE HANSKE PUKARA THA USE GAZAL

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  4. बहुत खूब --! आप का लिखने का अलग ढंग बेहद अच्छा लगा प्रसून जी !

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  5. kahte hain ki prasoon jee apke hain andaje -bayan aur. wakai lajwab hai apki shayree.man ko rahat si pahuncha gayee.

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  6. कॉलेज की कैन्टीन की वो, आखिरी बेन्च नहीं भूली जाती,
    जिस पर मेरे नाम का तुमने, इक रुमाल रखा था !


    कोई पूछे तो रह-रह के, अपना नाम बता तो देता हूँ 'प्रसून',
    मगर माँ ने तो मेरी, नाम मेरा 'लाल' रखा था !


    bahut achchha laga sahab.

    aise hi likhte raherin.

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  7. Pahli baar apke blogpe aayi hun...kya kamal ka likhte hain aap!

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  8. Tumhari bhav bahut achhe hain Ankur aur kuch rachnayen bahut achhi bani hain.is umra ke liye ye bahut jyada hai.shubhkamnayen tumhari lekhni aur samarth aur samraddh ho.

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  9. Tumhari bhav bahut achhe hain Ankur aur kuch rachnayen bahut achhi bani hain.is umra ke liye ye bahut jyada hai.shubhkamnayen tumhari lekhni aur samarth aur samraddh ho.

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