
अगर चाहत ही थी तुमको, क्यों मुझको मोड़ न पाए ?
अपनी सांसों की डोरी से, क्यों मुझको जोड़ न पाए ?
इसे इक सात फेरों का बंधन, कह दिया कैसे ?
अगर तुम उनके हो गए थे, क्यों मुझको छोड़ न पाए ?
है फकत ये जिंदगी बस चार ही दिन की जनाब, लाख कोशिश करो न भूलने की ये सामान सारा, पर सब यहीं पर छोड़ के एक दिन तो जाना ही है !! - प्रसून 'अंकुर'
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agar tum unake ho gaye the kyon mujhako chhod na paaye?bahut gahari lagan hai,sunder rachana.
ReplyDeleteअगर तुम उनके हो गए थे, क्यों मुझको छोड़ न पाए
ReplyDelete" बेहद कसक भरी है इन शब्दों में .."
regards
अगर चाहत ही थी तुमको, क्यों मुझको मोड़ न पाए ?
ReplyDeleteअपनी सांसों की डोरी से, क्यों मुझको जोड़ न पाए ?
18 yrs...at the age of 18 such deep thoughts.
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