
मेरी आँखों में केसरिया मेरी बातों में हरियाली है !
वही ख़ाक-ए-वतन खुशबू, वही गेहूं की बाली है !!
कोई सुर्खी लिए बैठा है, कहीं पे शांत सफेदी है !
कभी आओगे तो पूछोगे क्या यही चिड़िया सोने वाली है ?
नामुमकिन शब्द ही है एक बस न मानो तो सुन लो !
यही धरती भगत की और साबरमती संत वाली है !!
जमी से फलक तक हरसू नजर आ रहा तिरंगा मेरा !
है हिन्दोस्ताँ गुलिस्ताँ जैसे, तिरंगा इसका माली है !!
चलो हम भी करें कुछ देश की खातिर मेरे यारों !
हमारी रगों में भी तो एक चिंगारी सोलह-साली है !!
न बंद कमरों में रह-रह के वन्दे मातरम कहो !
बीती रात काली, सुबह कुछ नया करने वाली है !!
haan yahi sone kee chidiya hai... happy republic day...
ReplyDeletegud...wow thinking....
ReplyDeleteजमी से फलक तक हरसू नजर आ रहा तिरंगा मेरा !
ReplyDeleteहै हिन्दोस्ताँ गुलिस्ताँ जैसे, तिरंगा इसका माली है !!
वाह ! बेहद खुबसूरत प्रस्तुती...
regards