Saturday, January 16, 2010

आँखें नम क्यों हैं ?


अभी तो कुछ पाया भी नहीं था,
फिर कुछ खोने का गम क्यों है ?


अभी तो कुछ मिला भी नहीं था,
फिर बिछड़ने का गम क्यों है ?


अभी तो कुछ देखा भी नहीं था,
फिर डर जाने का गम क्यों है ?


अभी तो कुछ याद भी न था,
फिर कुछ भूलने का गम क्यों है ?


अभी तो मंजिल तक पहुंचे भी नहीं थे,
फिर वापस तन्हा लौटने का गम क्यों है ?


अभी तो खेल शुरू भी नहीं हुआ था,
फिर अभी से हारने का गम क्यों है ?


अभी तो प्यार पनप भी नहीं पाया था,
फिर नफरतें बढ़ने का गम क्यों है ?


अभी तो जिंदगी मिली ही नहीं थी,
फिर मर जाने का गम क्यों है ?


अभी तो आरंभन ही नहीं हुआ था,
फिर विसर्जन का गम क्यों है ?


अभी तो सिर्फ ये सपना ही देखा था,
फिर ये आँखें नम क्यों हैं ?

6 comments:

  1. is anhue ke hone ka andesha hi jeevan ke dukh bhi hai jeevan ki rochakata bhi. sunder rachana.

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  2. Apaki kvita so good

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  3. bahut badhiya...seedha..sadha aur gahra..bahut khoob.

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  4. क्यों है....
    : इन का जवाब सारी उम्र तलाश करता है इंसान...मगर..."
    regards

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  5. shayad yeh sab jawab har insaan dhoond raha hai, par kya yeh jaruri hai har sawal ka jawab miley usse...

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