
अभी तो कुछ पाया भी नहीं था,
फिर कुछ खोने का गम क्यों है ?
अभी तो कुछ मिला भी नहीं था,
फिर बिछड़ने का गम क्यों है ?
अभी तो कुछ देखा भी नहीं था,
फिर डर जाने का गम क्यों है ?
अभी तो कुछ याद भी न था,
फिर कुछ भूलने का गम क्यों है ?
अभी तो मंजिल तक पहुंचे भी नहीं थे,
फिर वापस तन्हा लौटने का गम क्यों है ?
अभी तो खेल शुरू भी नहीं हुआ था,
फिर अभी से हारने का गम क्यों है ?
अभी तो प्यार पनप भी नहीं पाया था,
फिर नफरतें बढ़ने का गम क्यों है ?
अभी तो जिंदगी मिली ही नहीं थी,
फिर मर जाने का गम क्यों है ?
अभी तो आरंभन ही नहीं हुआ था,
फिर विसर्जन का गम क्यों है ?
अभी तो सिर्फ ये सपना ही देखा था,
फिर ये आँखें नम क्यों हैं ?
is anhue ke hone ka andesha hi jeevan ke dukh bhi hai jeevan ki rochakata bhi. sunder rachana.
ReplyDeleteApaki kvita so good
ReplyDeleteapaki kvita so good he
ReplyDeletebahut badhiya...seedha..sadha aur gahra..bahut khoob.
ReplyDeleteक्यों है....
ReplyDelete: इन का जवाब सारी उम्र तलाश करता है इंसान...मगर..."
regards
shayad yeh sab jawab har insaan dhoond raha hai, par kya yeh jaruri hai har sawal ka jawab miley usse...
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