Monday, December 28, 2009

मेरे हाथ में . . .


तेरी चाहत की दुनिया का, सुन ले क्या फ़साना है ?

दिलों से खेलने का, एक इसमें कारखाना है !


तू ही वो बेवफा है, तेरा ही ये कारनामा है ;

कि मेरे हाथ में भी, आज देखो पैमाना है !!


आपका - प्रसून दीक्षित 'अंकुर'

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