
कभी मेरी वफाओं पे, तुझे विश्वास न आया !
मेरी सच्ची मोहब्बत का, तुझे एहसास न आया !!
जरा उन गोपियों के संग, मेरा दर्द भी सुन ले !
न उनका कृष्ण ही आया, न मेरे पास तू आया !!
आपका - प्रसून दीक्षित 'अंकुर'
है फकत ये जिंदगी बस चार ही दिन की जनाब, लाख कोशिश करो न भूलने की ये सामान सारा, पर सब यहीं पर छोड़ के एक दिन तो जाना ही है !! - प्रसून 'अंकुर'
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