
समझकर ख्वाब मेरे प्यार को, न तुम भुला देना !
जानकार पत्र कागज़ का, न केवल तुम जला देना !!
मोहब्बत है अगर तुमको भी हमसे, तो ज़रा सुन लो,
हमारी मौत पर इक बार तुम, बस मुस्कुरा देना !!
आपका - प्रसून दीक्षित 'अंकुर'
है फकत ये जिंदगी बस चार ही दिन की जनाब, लाख कोशिश करो न भूलने की ये सामान सारा, पर सब यहीं पर छोड़ के एक दिन तो जाना ही है !! - प्रसून 'अंकुर'
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अच्छी शुरुआत हॆ.इसी तरह आगे बढते रहो.स्वागत हॆ आपका.
ReplyDeleteआपका कोटि - कोटि धन्यवाद ! आपका इसी प्रकार का प्रोत्साहन मेरे जीवन के आगामी प्रयास को सफल बनाने में अनन्य सहायक होगा ! अतः इसी प्रकार प्रतिक्रिया व्यक्त करते रहें !
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